October 18, 2024

द पंजाब रिपोर्ट जालंधर :- पूर्व मंत्री और वरिष्ठ अकाली नेता सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के निर्देश पर पिछले साल 23 नवंबर को सुल्तानपुर लोधी में गुरुद्वारा अकाल बुंगा साहिब में ‘शांतिपूर्ण’ तरीके से बैठी संगत पर बिना उकसावे के पुलिस हमले की सीबीआई यां उच्च न्यायालय की निगरानी में जांच की मांग की है।

यहां एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि वह मांग इसीलिए कर रहे हैं, क्योंकि घटना के 50 दिन बाद में मामले में न्याय सुनिश्चित नही किया गया है।

अकाली नेता ने मुख्यमंत्री भगवंत मान, पुलिस अधिकारी एस भूपत्ति, एसएसपी कपूरथला, डीएसपी कपूरथला और एएसआई जसपाल सिंह और लखविंदर सिंह के खिलाफ केस दर्ज किया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री ने पुलिस अधिकारियों को निहंग सिंह के एक विशेष वर्ग को कब्जा दिलाने के लिए गुरुद्वारे पर हमला करने का निर्देश दिया था, जिनके वह और उनका परिवार बहुत करीबी हैं। पुलिस अधिकारियों की भूमिका के बारे में बोलते हुए सरदार मजीठिया ने कहा कि उन्होने अवैध आदेशों को लागू कर पवित्र स्थान में अखंड साहिब को बाधित करने के अलावा बिना उकसावे के निर्दोषों पर स्वचालित हथियारों से हमला किया गया। उन्होने दो जूनियर पुलिस कर्मियों के बारे कहा कि जसपल सिंह ने निर्दोषों के खिलाफ एके 47 का इस्तेमाल किया, जबकि लखविंदर ने एक पीटीसी रिर्पोटर का कैमरा तबाह करने के अलावा एक कैमरामैन की उंगलियों को लोहे की राॅड से मारकर तोड़ दिया था। उन्होने कहा,‘‘ इन सभी पर मुकदमा चलाने के लिए कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए’’।

यह कहते हुए कि गुरुद्वारा साहिब पर हमला पूर्व नियोजित था, सरदार मजीठिया ने कहा कि पुलिस बल ने 22 नवंबर को शाम 5 बजे , 7 बजे और रात 10 बजे गुरुद्वारे की टोह ली, लेकिन बड़ी संख्या में संगत के होने के कारण परिसर में जाने की कोशिश नही की गई। उन्होने गुरुद्वारे की वीडियो फूटेज भी दिखादई जिसमें दिखाया गया कि कैसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर एकत्र हुए और फिर हथियारों की मांग की और अंततः एक एएसआई के अलावा अन्य लोगों द्वारा स्वचालित हथियारों का उपयोग किया गया। उन्होने एक निहंग सिंह का वीडियो भी दिखाया जिसमें वह पुलिस से धार्मिक जगह पर हमला न करने की गुहार लगा रहा है। उन्होने कहा,‘‘ इससे साबित होता है कि यह हमला एकतरफा किया गया था और गुरुद्वारे में निहंग सिंहों द्वारा कोई प्रतिरोध नही किया गया था’’। उन्होने कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार घटना में मारा गया होम गार्ड भी पुलिस को गोली मार सकता है, क्योंकि गुरुद्वारे में कई पुलिसवाले सिविल ड्रेस में मौजूद थे। उन्होने घटनास्थल पर बड़े पैमाने पर स्वचालित गोलीबारी का एक वीडियो दिखाया और कहा, ‘‘ केवल पुलिस के पास ही ऐसे स्वचालित हथियार होते हैं, क्योंकि निहंग सिंह के पास ऐसा कोई हथियार बरामद नही हुआ है’’।

यह कहते हुए कि एक स्वतंत्र जांच ही मामले की सच्चाई सामने ला सकती है, वरिष्ठ अकाली नेता ने कहा कि यह न्याय का मजाक है, क्योंकि जिस एसएसपी ने हमले की अगुवाई की थी, उसे ही हमले की जांच के लिए गठित एसआईटी का प्रमुख नियुक्त किया गया। उन्होने सरकार से यह खुलासा करने की भी मांग की कि मामले में गोली चलाने से पहले मजिस्ट्रेट से अनुमति क्यों नही ली गई।
सरदार मजीठिया ने एक रिपोर्टर चरनजीत सिंह को भी पेश किया, जिसका कैमरा तबाह कर दिया गया, क्योंकि उसने पुलिस के उस गलत कृत्य को फिल्माया था। रिपोर्टर ने खुलासा किया कि उसे इतनी बुरी तरह पीटा गया तथा कैमरामैन की एएसआई लखविंदर ने उंगलियां तोड़ दी।

एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी , जिसका घर गुरुद्वारे से सटा हुआ है ने बताया कि कैसे पुलिस बल ने गुरुद्वारे में आंसू गैस छोड़ी और गुरुद्वारे में संगत पर गोलीबारी करते हुए एएलआरज्,एसएलआरज् तथा एके-47 का इस्तेमाल किया गया ।

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